जमीन की रजिस्ट्री का नियम भारत में 2025 में बड़े बदलावों के साथ अपडेट किया गया है। सरकार ने पुराने 117 साल पुराने रजिस्ट्री कानून को खत्म कर इसे अधिक पारदर्शी, डिजिटल और सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम उठाया है। नये नियमों के तहत अब जमीन खरीदने के बाद होने वाली रजिस्ट्री को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कराने का प्रावधान है, जिससे धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और विवादों को रोकने में मदद मिलेगी।
इस नए कानून में जमीन की रजिस्ट्री को ऑनलाइन पूरा किया जा सकेगा। इसमें आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन, डिजिटल दस्तावेज़ जमा करना और ऑनलाइन रजिस्ट्री सर्टिफिकेट जारी करना शामिल है। खास बात यह है कि अब अगर रजिस्ट्री में कोई धोखाधड़ी या अन्य वैध कारण होते हैं तो 90 दिनों के अंदर रजिस्ट्री को कैंसिल भी किया जा सकता है।
इससे खरीदारों की सुरक्षा बढ़ेगी और पारिवारिक या कानूनी विवादों को आसानी से सुलझाया जा सकेगा।
What are the New Land Registry Rules?
जमीन की रजिस्ट्री एक औपचारिक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें जमीन या संपत्ति के मालिकाना हक को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह प्रक्रिया जमीन की खरीद-फरोख्त को वैध ठहराती है और मालिक का अधिकार सुरक्षित करती है। रजिस्ट्री के बिना जमीन का लेन-देन आधिकारिक तौर पर मान्य नहीं माना जाता।
सरकार ने जो नया Registration Bill 2025 पेश किया है, वह पुराने Registration Act 1908 की जगह लेगा। यह बिल जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने, पारदर्शिता लाने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य जमीन के दावे और मालिकाना हक से जुड़े विवादों को कम करना और आम जनता के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सरल बनाना है।
नए नियमों के अनुसार, जमीन खरीदते समय सभी दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करना होगा और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से प्रक्रिया को पूरा करना होगा। रजिस्ट्री का प्रमाण पत्र भी डिजिटल रूप में मिलेगा जो कानूनी दृष्टि से मान्य होगा। यदि किसी कारण से रजिस्ट्री गलत या धोखाधड़ी से हुई है, तो संबंधित पक्ष 90 दिनों के अंदर रजिस्ट्री रद्द कराने का आवेदन कर सकता है।
सरकार की यह योजना न केवल जमीन के मालिकाना हक को सुरक्षित करेगी, बल्कि भू-धोखाधड़ी (Land Fraud) को भी काफी हद तक रोकने में सहायक होगी। इससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा क्योंकि अब प्रत्येक ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड ऑनलाइन और क्लियर होगा। साथ ही यह प्रक्रिया समय की बचत करती है और लोगों को बार-बार सरकारी दफ्तरों में जाने से भी मुक्त करती है।
नए Registration Bill में जमीन से जुड़े कई नए दस्तावेजों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन के तहत लाने का प्रावधान है। जैसे कि बिक्री के लिए अनुबंध (Agreement for Sale), पावर ऑफ अटॉर्नी, क्रय प्रमाण पत्र और कोर्ट के आदेश के आधार पर बनाए गए दस्तावेज। इससे पूरी प्रक्रिया में कानूनी स्पष्टता आएगी।
इस पूरी व्यवस्था के तहत डिजिटल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए डिजिटल आर्काइविंग का प्रावधान भी है। यानी आपको जमीन के दस्तावेज खोने की चिंता नहीं रहेगी और आप कभी भी ऑनलाइन इन्हें एक्सेस कर सकेंगे। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जो लोग आधार साझा नहीं करना चाहते, उनके लिए वैकल्पिक पहचान प्रणाली भी उपलब्ध हो।
आवेदन कैसे करें?
नए नियमों के तहत जमीन की रजिस्ट्री ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के जरिए की जाती है। इसके लिए सबसे पहले संबंधित सब-रजिस्ट्रार ऑफिस की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर जाना होगा। वहां जमीन की डिटेल्स भरनी होंगी, जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे तथा आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन कराना होगा।
अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन में बिक्री समझौते, जमीन के पंजीयन दस्तावेज, पहचान प्रमाण जैसे डॉक्यूमेंट जमा करते हैं। सत्यापन के बाद डिजिटल रजिस्ट्री प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है। यदि कोई विवाद या धोखाधड़ी होती है, तो 90 दिनों के भीतर आवेदन करके रजिस्ट्री को कैंसिल कराया जा सकता है।
निष्कर्ष
सरकार के नए नियमों से जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया अब और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और आसान हो गई है। डिजिटलाइजेशन से खरीदारों को धोखाधड़ी से सुरक्षा मिलेगी और संपत्ति संबंधी विवादों को कम किया जा सकेगा। यह नई व्यवस्था जमीन के लेन-देन को विश्वासपात्र और देश में भूमि संपत्ति के रिकॉर्ड को विश्वसनीय बनाएगी।







